? राज्य- राजस्थान
? जिला -टोंक
? स्थापना -1817(अमीर खां पिंडारी द्वारा )
? क्षेत्रफल -7194KM²
? जनसंख्या -14.21 लाख
? पुरुष जनसंख्या -7.28 लाख
? महिला जनसंख्या -6.93 लाख
? ग्रामीण जनसंख्या -1103868
? नगरीय जनसंख्या - 317843
? लिंगानुपात- 952
शहरी लिंगानुपात -985 (राज्य में सर्वाधिक)
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भौगोलिक स्थिति
? अक्षांश -25°41" उत्तरी अक्षांश से 26°34" उत्तरी अक्षांश
? देशांतर -75°70" पूर्वी देशांतर से 76°19" पूर्वी देशांतर
? गांव -1136
? तहसील- 8
[टोंक ,निवाई, मालपुरा ,टोडारायसिंह ,पीपलू ,उनियारा, देवली ,दूनी( 2014 में घोषित)]
? लोकसभा क्षेत्र-1- टोंक सवाई माधोपुर
? विधानसभा क्षेत्र -4
(1 टोंक 2. निवाई- पीपलू 3.टोडा -मालपुरा 4. देवली -उनियारा)
? पूर्णतः अंतर्वर्ती जिला
? पड़ोसी जिले- जयपुर ,सवाईमाधोपुर, कोटा ,बूंदी ,भीलवाड़ा ,अजमेर
? विकास दर (2001 -2011)- 17.33%
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
♦ जिले का कोई क्रमबद्ध इतिहास नहीं है यत्र-तत्र बिखरे प्राचीन शिलालेख, ध्वंसावशेष, सिक्कों आदि से ही प्राचीन इतिहास के तथ्य उजागर होते हैं ।
♦ यह क्षेत्र महाभारत काल में सपादलक्ष था ।
♦ मौर्य काल में मौर्य शासकों के अधीन था जिसे बाद में मालव गणराज्य में मिला दिया गया।
♦ हर्षवर्धन के साम्राज्य में क्षेत्र का एक बड़ा भाग शामिल था ।
♦ चीनी यात्री हेनसांग के अनुसार यह क्षेत्र विराट प्रदेश के अंतर्गत था।
♦ राजपूत शासन काल में टोंक जिले का बड़ा भाग गई खंडों में चावंड, सोलंकी, कछवाह, सिसौदिया , चौहान आदि राजपूतों के अधीन रहा।
♦ 1806 ईस्वी में बनास नदी के उत्तरी भाग पर बलवंत राव होल्कर से पिंडारियों के सरदार अमीर खां पिंडारी ने कब्जा कर लिया जिसे बाद में ब्रिटिश सैनिकों ने जीत लिया ।
♦ 1827 ईसवी की संधि के अनुसार यह क्षेत्र अमीर खां पिंडारी को लौटा दिया गया जिसने बाद में टोंक रियासत की नीव रखी । (पिंडारी मराठों के लुटेरे सैनिक थे )
♦ यह जिला भूतपूर्व बूंदी ,जयपुर, टोंक रियासतों वअजमेर -मेरवाड़ा की मिश्रित संस्कृति का परिचायक है।
प्राचीन सभ्यता स्थल - नगर
? उत्खननकर्ता -एच सी एल कार्लायल
( राजस्थान के इतिहास का सर्वेक्षण कालूराम शर्मा व प्रकाश व्यास के अनुसार )
पंजाब से हटने के बाद मालव लोग राजस्थान के अजमेर-टोंक-मेवाड़ के मध्यवर्ती क्षेत्र में बस गए और इस क्षेत्र में पहले से आबाद आदिवासी लोगों को पराजित करके अपनी बस्तियां कायम की ।कुछ समय बाद में अपनी राजनीतिक सत्ता को सुदृढ़ बनाने में लग गए ।पहली सदी के अंत तक इस क्षेत्र में मालव लोगों ने अपनी शक्ति को संगठित कर लिया था और मालव नगर को अपनी राजधानी बनाया। विद्वानों ने इस नगर की समरूपता टोंक से लगभग 40 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व तथा बूंदी से 70 किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित ''नगर'' या ''कर्कोट नगर" से की है ।
यहां से मालवों के सिक्के पर्याप्त संख्या में प्राप्त हुए हैं ।
कार्लाइल नामक विद्वान ने 4 वर्ग मील के घेराव में क्षेत्र का परीक्षण किया और उन्हें यहां से लगभग 6000 तांबे के सिक्के प्राप्त हुए ।(संभवता यहां मालव गण की टकसाल रही होगी )
यहां से प्राप्त सिक्के बहुत हल्के व छोटे आकार के हैं जिन पर दूसरी सदी ईसा पूर्व से चौथी सदीकी ब्राह्मी लिपि में लगभग 40 मालव सरदारों के नाम अंकित है ।
? रांगे की एक स्टैंप सील मिली है जिस पर 'मालव- जनपदस' आख्यान अंकित है ।
? इसके अतिरिक्त महिषासुर मर्दिनी की प्रतिकृति, पाटरी जार, कामदेव व इंद्र की मृण मूर्तियां, शंख के चूड़े, व मनके भी प्राप्त हुए हैं।
रेढ़
? यहां से हजारों की संख्या मालव गण के सिक्के प्राप्त हुए हैं इस कारण इसे प्राचीन भारत का टाटानगर भी कहा जाता है।
?सिक्कों का समय ईसा पूर्व दूसरी सदी से ईसा की दूसरी सदी तक का है।
?इनका वजन 1½ ग्रेन से 10 ग्रेन तक देखा गया है ।
?रेढ़ से प्राप्त सिक्कों पर कहीं 'मालवानां जयः' तो कहीं पर सेनापतियों के नाम जैसे माप्य, मजुप, मापजय, मपेजश आदि अंकित हैं।
?कई सिक्कों के अग्र भाग पर बोधि वृक्ष व पृष्ठभाग में सूर्य, सिंह, नन्दी, राजा का मस्तक, अग्नि अथवा सूर्य का चिन्ह भी अंकित दिखाई देता है।
? राजस्थान पुरातत्व विभाग ने रेढ़ के निकट से छह चांदी के सिक्के खोजे हैं जिनमें से एक समुद्रगुप्त का चार चंद्रगुप्त द्वितीय के और एक कुषाणों के राजा का है।
? बनास नदी के पास 1747 ईस्वी में राजमहल (टोंक) स्थान पर सवाई ईश्वरी सिंह (आमेर शासक) और उनके भाई माधो सिंह व मराठों और कोटा बूंदी की संयुक्त सेना में युद्ध हुआ ।इसमें ईश्वरी सिंह विजय हुए और इस जीत के उपलक्ष्य में जयपुर में त्रिपोलिया बाज़ार में ईसरलाट (सरगासूली) का निर्माण करवाया।
देवली
? 1857 की क्रांति की राजस्थान की सबसे छोटी छावनी ।
?1855 के आसपास नगर के निर्माण की योजना अजमेर-मेरवाड़ा, जयपुर, मेवाड़ , व बूंदी राज्य के संगम स्थान पर स्थापित भूतपूर्व कोटा रेजिमेंट के कमांडर मेजर थॉमस ने तैयार की थी। प्रारंभ में यह मिलिट्री रेजिमेंट की छावनी के रूप में बनाया जो उस समय उपरोक्त राज्यों में सक्रिय उत्पातियों को रोकने के लिए स्थापित की गई थी।
? सन् 1857 के पश्चात जो मिलिट्री रेजिमेंट यहां स्थापित हुई उसका नाम "इंफेंट्री ऑफ देवली इरेग्युलर" रखा गया। 1903 में इसका नाम "फोर्टी सेकिंड रेजिमेंट" कर दिया गया ।
? प्रथम विश्वयुद्ध के बाद इसे निरस्त कर दिया गया ।सन् 1922 में "मीना कोर" के रूप में इसकी फिर स्थापना हुई ।
? सन् 1923 में छावनी को हटाकर यहां एक नगर पालिका स्थापित कर दी गई।
? वर्तमान में यहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का प्रशिक्षण संस्थान है।
वर्तमान राजस्थान में विलय
? टोंक रियासत का विलय राजस्थान में राजस्थान एकीकरण के द्वितीय चरण (राजस्थान संघ <25 मार्च 1948>) में हुआ।
? चीफशिप -लावा ?
? स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तीन चीफशिप से एक ।
?वर्तमान राजस्थान में लावा चीफशिप का विलय चतुर्थ चरण (वृहत राजस्थान) के दौरान 19 जुलाई 1948 को केंद्रीय सरकार के आदेश पर जयपुर रियासत में शामिल कर लिया गया।
कला व संस्कृति
? उनियारा चित्रकला शैली
♦ जयपुर और बूंदी रियासतों की सीमा पर बसे उनियारा ठिकाने के नरूका शासकों ने रक्त संबंधों के कारण जयपुर व वैवाहिक संबंधों के कारण बूंदी के कलात्मक प्रभाव को अपनाकर एक नई शैली का प्रादुर्भाव किया जिसे उनियारा शैली के नाम से जाना जाता है ।
♦ इस में कवि केशव की कविप्रिया पर आधारित चित्र बारहमासा, राग रागिनी, राजाओं के व्यक्तिचित्र, व अनेक धार्मिक चित्र बने ।
♦ प्रमुख चित्रकार- धीमा, मीरबक्श, काशीराम, बख्ता, कवलां, राम- लखन।
♦ उनियारा के सरदार संग्राम सिंह व सरदार सिंह ने इस शैली को प्रोत्साहन प्रदान किया।
? चारबैत लोकनाट्य
? प्रारंभ- टोंक नवाब फैजुल्ला खां के समय अब्दुल करीम खां व खलीफा करीम खां निहंग द्वारा ।
♦ टोंक क्षेत्र में लोकप्रिय शैली जिसका प्रयोग युद्ध के मैदान में सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु किया जाता था ।
? संगीत दंगल रुपी लोक नाट्य विधा जिसमें गायक पात्र डफ बजाता हुआ घुटने के बल खड़े होकर अपनी बात गाकर कहता है। इसमें दो दल आमने सामने घुटने के बल खड़े होकर सवाल जवाब करते हैं। कुछ गायक ऊंची कूद लेकर ढ़फ उछालते हुए भी गाते हैं ।
? पठानी मूल की इस काव्य प्रधान लोक नाट्य विधा में अब लोक भाषा में ही प्रस्तुतीकरण होता है।
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बोलियां
? मुख्य बोली - ढूंढाड़ी (बृज भाषा गुजराती व मारवाड़ी का प्रभाव)
? चौरासी- टोंक का पश्चिमी क्षेत्र व जयपुर का दक्षिणी पूर्वी भाग
? नागरचोल- टोंक का दक्षिणी पूर्वी भाग व सवाई माधोपुर का पश्चिमी भाग
? खैराड़ी -बूंदी, भीलवाड़ा व टोंक के सीमावर्ती भाग को खैराड कहते हैं इस प्रदेश में बोले जाने के कारण इसे खैराडी कहते हैं।
? यह टोंक के मालपुरा में बोले जाने के कारण मालखैराड़ी कहलाती है।
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संत धन्ना लाल जाट
? जन्म -धुआं ग्राम ,टोंक (1415 में किसान परिवार में)
? पिता -पन्नालाल जाट
? माता- रेखा
? गुरु- रामानंद
? राजस्थान में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक।
? मान्यता है कि धन्ना भगत दानी राजा बलि के अंशावतार थे।
??एक बार गांव के बाहर मंदिर में एक संत पधारे लोगों से उनके प्रवचनों की प्रशंसा सुनकर धन्ना भी उनके पास पहुंचे और उनसे उपदेश देने का आग्रह करने लगे मगर उनका कार्यक्रम पूरा हो चुका था लेकिन धन्ना की जिद के कारण संत उनके घर आए और उपदेश भी दिया। लेकिन इसके बाद धन्ना भगत और भी भयंकर जीत कर बैठे कि जिस भगवान की आप इतनी महिमा का वर्णन कर रहे हैं वह मुझे दे कर जाइए। संत ने पिंड छुड़ाने के लिए भांग घोटने का सिलबट्टा निकाल कर दे दिया और बोले कि यह भगवान कृष्ण है ।कहा जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए व धन्ना भगत की प्रेम भक्ति को बढ़ाने के लिए धन्ना भगत का कारिंदा बनकर खेत जोता व धन्ना को धन्ना सेठ बनाया।
? रामचरण जी
? मूल नाम -रामकिशन
? जन्म -सोडा गांव, टोंक
? शाहपुरा के रामस्नेही संप्रदाय की प्रधान पीठ के संस्थापक।
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डिग्गी कल्याण जी
?जयपुर से 75 किलोमीटर दूर मालपुरा के निकट डिग्गी नगर में इस मंदिर का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन राजा राणा संग्राम सिंह के शासनकाल में संवत 1584 (1527 ईसवी) के जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को तिवारी ब्राह्मणों द्वारा किया गया।
?श्रावण मास में यहां लक्खी मेला भरता है ।
?प्रत्येक माह की पूर्णिमा को भी यहां मेला लगता है ।
? यहां लगने वाले मुख्य मेले
वैशाख पूर्णिमा
श्रावण एकादशी
भाद्रपद शुक्ल एकादशी
? बीसलदेव मंदिर -बिसलपुर
? निर्माण- विग्रहराज चतुर्थ( बीसलदेव)
? मंदिर में लगे शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ ने 1150 से 1164 ईस्वी के बीच करवाया ।
? यह मंदिर वर्तमान में बीसलपुर बांध बनने के बाद जलभराव क्षेत्र में आ गया लेकिन पूर्ण रुप से जलभराव नहीं होने के कारण आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
? मंदिर पंचरथ मूर्तिकला से बनाया गया है ।इसमें शिवलिंग की स्थापना की गई थी ।
? यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया )के अधीन है।
? गोकर्णेश्वर मंदिर बीसलपुर
?मान्यता है कि रामायण काल में कड़ी तपस्या के बाद रावण को आत्म लिंग के रूप में भगवान शिव का शिवलिंग मिला तो देवताओं ने छल से उसे धरती पर रखवा दिया ।ऐसे में शिवलिंग टोंक में स्वयंभू हो गया।
? यहां प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है।
?महात्मा गोकर्ण के नाम पर गोकर्णेश्वर नाम पड़ा ।
? कहा जाता है कि सतयुग में यह शिवलिंग श्वेत था कलयुग में बढ़ते पाप के कारण इसका रंग श्याम होने लगा है
?यहां रावण की कुलदेवी निकुंभला माता का मंदिर भी है।
? अखनेश्वर महादेव मंदिर -आवां
?जयपुर कोटा NH 12 पर सरोली मोड़ के पास स्थित अरावली की पहाड़ियों में लगभग 500 -600 साल पुराना रियासतकालीन मंदिर ।
?यहां की अद्भुत नक्काशी देखकर इतिहास के प्रसिद्ध खजुराहो और अजंता की यादें ताजा हो जाती हैं।
? एक ही पत्थर से बनायेइस मंदिर में कहीं भी रेत और चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
? मंदिर के शिखर पर घटोत्कच की गर्दन स्थित है । मंदिर में शिवलिंग विराजित है।
? जोधपुरिया- निवाई
? जयपुर से 75 किलोमीटर दूर जयपुर कोटा NH 12 पर स्थित मासी बांध के निकट मासी ,बांडी व खारी नदी के संगम पर स्थित है।
? पाती मांगना लोग देवनारायण की मूर्ति पर एक पत्ता चढ़ाते हैं अगर पता नीचे रखे कटोरे में गिर जाता है तो इनकी इच्छा पूरी होगी ऐसा माना जाता है।
? यहां देवनारायण जी ने सबसे पहले अपने भक्तों को उपदेश दिया था ।
?प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल सप्तमी को यहां मेला भरता है।
? जलझूलनी एकादशी मेला- टोंक
भाद्रपद शुक्ल एकादशी
? इसमें प्रमुख विमान काला बाबा का होता है जिसे कोतवाल के नाम से भी जाना जाता है।
? दूणजा माता मंदिर?
टोंक जिले के दूनी कस्बे में तालाब किनारे विद्यमान प्राचीन दुर्गा माता मंदिर जहां माता की प्रतिमा सुरापान करती है। इतना ही नहीं माता के मुंह के शराब से भरी बोतल लगाते ही बोतल खाली हो जाती है और यह परंपरा सदियों से जारी है।
? चांदली माता?
NH 12 पर देवली से 17 किलोमीटर दूर चांदली ग्राम में स्थित यह मंदिर स्थित है मान्यता है कि यह शक्ति के 51 शक्ति पीठ में से एक हिंगलाज माता (बलूचिस्तान) का अंश है ।
चांदली माता नेत्र रोग उपचार के लिए प्रसिद्ध है।
? मांडकला -नगरफोर्ट
नगर फोर्ट गांव के छोटे से तालाब का पुष्कर के समान धार्मिक महत्व है ।
इसके चारों तरफ 16 मंदिर है ।यह स्थल मांडव ऋषि की तपोस्थली रहा है ।धार्मिक मान्यता के अनुसार हजारों श्रद्धालु पाप से मुक्त होने तथा निरोग होने के लिए तालाब में स्नान करते हैं।
यहां प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से 15 दिवसीय पशु मेला लगता है।
?मांडकला से कुछ दूरी पर ही मुचकन्देेश्वर महादेव का मंदिर राजा मुचकन्द द्वारा बनाया गया था। मंदिर के शिवालय में लगभग 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है।
? जल देवी मंदिर- बावड़ी गांव (टोडारायसिंह)
? भूमगढ़/अमीरगढ़ /असीरगढ़
? 17वीं शताब्दी में ब्राह्मण भोला ने अपनी भोम की रक्षा व प्रशासन की दृष्टि से भूमगढ़ का निर्माण करवाया जिसे नवाब अमीर खां ने पूरा कराया।
? इस किले के समीप खुदाई में जैन तीर्थंकरों की पाषाण निर्मित अति प्राचीन 26 सुंदर प्रतिमाएं मिली है इन्हें टोंक नसियां में प्रतिष्ठापित किया है।
? 1857 की क्रांति के समय जब तात्या टोपे दोबारा राजस्थान आए तब इस दुर्ग के निकट बनास नदी किनारे टोंक के नवाब की सेना से युद्ध हुआ जिसमें क्रांतिकारियों की जीत हुई ।इसकी सूचना मिलते ही टोंक में मेजर ईडन विशाल सेना के साथ आये व क्रांतिकारी टोंक छोड़कर नाथद्वारा की ओर चले गए।
? ककोड किला
जिला मुख्यालय से सवाई माधोपुर सड़क पर 22 किलोमीटर दूर ककोड़ का किला ऊंचे पहाड़ पर स्थित है।
? हाथी भाटा
ककोड से 5 किलोमीटर पूर्व में गुमानपुरा गांव की चट्टान पर विशाल पत्थर को उत्कीर्ण कर विशाल हाथी बनाया है। यह हाथी थोड़ी दूरी से देखते समय दौड़ते हाथी की तरह प्रतीत होता है।
? सुनहरी कोठी( शीशमहल/ मुबारक महल)
बड़ा कुआं के पास नजर बाग में रत्न का आज का सोने की झाल दे कर बनाई गई दो मंजिला इमारत।
♦ अन्य स्थल
✔ चांदसेन (निवाई) के पहाड़ों में भृंगोजी की गुफा
✔ टोडारायसिंह के पहाड़ों में संत पीपाजी की गुफा
✔ चतुर्भुज तालाब के पास दरियाशाह की बावड़ी
✔ बगड़ी का मोहम्मद गढ़
✔ मालपुरा का फूल पीर
✔ कालेखा महल
✔टोडारायसिंह की बावड़ियां (हाड़ी रानी की बावड़ी मुख्य)
✔ बुद्धसागर
✔टोरड़ी सागर
✔ पचेवर का किला
✔ चांदसेन पशु मेला
✔ बालूंदा कल्पवृक्ष का जोड़ा
✔बोयड़ा गणेश मंदिर
✔नेकचाल बालाजी मंदिर
? वनस्थली विद्यापीठ
? राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री श्री श्री हीरालाल शास्त्री व उनकी पत्नी श्रीमती रतन शास्त्री द्वारा पुत्री शांता बाई की स्मृति में 6 अक्टूबर 1935 को शांताबाई शिक्षा कुटीर की स्थापना की जो कि बाद में वनस्थली विद्यापीठ के रूप में विकसित हुई ।
? यह एक डीम्ड यूनिवर्सिटी (सम विश्वविद्यालय) है जहां देश विदेश से लड़कियां अध्ययन के लिए आती है।
? मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान टोंक (a p r i)
? वर्तमान निदेशक -डॉक्टर सौलत अली खान
? अरबी फारसी भाषा व साहित्य के विकास हेतु 4 दिसंबर 1978 को इसकी स्थापना की गई। वर्तमान नाम 1981 में रखा गया। सरकार द्वारा सन 1983 में अलवर, जयपुर ,जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर और झालावाड़ के सरकारी पुस्तकालय व निजी संग्रहालय से अरबी फारसी उर्दू ग्रंथों का जखीरा स्थानांतरित किया गया ।
? यहां पर एक पुस्तकालय स्थित है जिसमें उर्दू ,अरबी, फारसी साहित्य, कैटलॉग ,यूनानी चिकित्सा की पुस्तक ,स्वानेह हयात (आत्मकथा ),मध्यकालीन इतिहास, स्वतंत्रता अभियान पर साहित्य , कीमिया, रीमिया, दर्शन, तर्कशास्त्र ,विधिशास्त्र, विज्ञान व शिकार आदि विषयों पर असीम साहित्य उपलब्ध है ।
? यहाँ दुनिया की सबसे बड़ी कुरान रखी है।(लंबाई 125 इंच चौड़ाई 90 इंच वजन 200 किलो 32 पन्ने )
सांगानेर से मंगवाए कागज की शीट पर गुलाम परिवार और परिवार जनों व अन्य लोगों की मदद से कुरान लिखी गई है।
✔ अब तक इसे 4 लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं ।
? यहां पर कैलीग्राफी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
? केंद्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान - अविकानगर ,मालपुरा
? भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा यह केंद्र सन 1962 में स्थापित ।
? लगभग 4000 एकड़ जमीन पर बना ।
? यहां पर संकर प्रजनन के माध्यम से अविशास्त्र व अविकालीम नाम से दो भेड़ों की नस्लें तैयार की गई है।
? इसका मरू क्षेत्रीय परिसर बिछावल (बीकानेर) में स्थित है।
? खातौली
उनियारा तहसील के पास स्थित है यहां पर विद्युत बनाने का प्लांट है जिसमें सरसों की तूडी़ से बिजली का उत्पादन किया जाता है।
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प्रसिद्ध व्यक्तित्व
? प्रोफेसर गोकुल लाल असावा
? देवली में 2 अक्टूबर 1901 में जन्म।
? 1945 में शाहपुरा राज्य प्रजा मंडल के अध्यक्ष बने।
? विद्रोही स्वभाव ,निष्ठा पूर्ण समर्पण ,आदित्य प्रतिभा के धनी व प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी।
? राजस्थान संघ के भी प्रधान मंत्री बनाए गए।
? डॉ प्रभुलाल सैनी
? जन्म- 25 सितंबर 1954 आंवा ग्राम
? 2003 से 2008 तक टोंक उनियारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक और तत्कालीन सरकार में कृषि मंत्री रहे ।
? 2009 -2013 हिंडोली से विधायक रहे।
? 2013 से अंता विधायक और वर्तमान कृषि व पशुपालन मंत्री।
? सुश्री छवि राजावत
? जन्म 1980 जयपुर
? टोंक जिले के छोटे से गांव सोडा की सरपंच हैं ।
? ये भारत की सबसे कम उम्र की और शायद एक मात्र MBA सरपंच है ।
? नवंबर 2013 में स्थापित भारतीय महिला बैंक की एक निदेशक भी है ।
? पुणे के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मॉडर्न मैनेजमेंट से एमबीए छवि कई नामी कॉरपोरेट कंपनियों में काम कर चुकी है ।
? 2011 में छवि ने संयुक्त राष्ट्र संघ में आयोजित 11 वें इन्फो पोवेर्टी विश्व सम्मेलन में दुनियाभर के मंत्रियों व राजदूतों को संबोधित किया ।
? भारतीय युवा नेत्री का खिताब- देश को दिशा देने वाले 8 भारतीय युवा नेताओं में से एक होने का गौरव प्राप्त हुआ ।
? मई 2011 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा सम्मानित।
? इन्ही के प्रयासों से सोडा ग्राम पंचायत देश की पहली ई पंचायत बनी।
? श्रीमान रमेश मुकुल
? जन्म 6 अगस्त 1974
? लगभग 20 वर्षों से महिला शिक्षा प्रोत्साहन के लिए प्रयासरत।
अन्य जानकारी
? तामड़ा / गारनेट
कल्याणपुरा (गांवड़ी) से राजमहल तक गारनेट के भंडार प्राप्त हुए हैं।
? टोंक में रेढ़ के पास अभ्रक के भंडार प्राप्त हुए है।
? रानीपुरा -आखेट निषिद्ध क्षेत्र (काले हिरण के लिए)
? संपूर्ण परिवार की फोटो BPL कार्ड पर जारी करने वाला पहला जिला।
? भारत में एकमात्र जगह जहां ऊंट की कुर्बानी दी जाती है।
? मालपुरा में चांद सेन बांध पर चांद सेन पशु मेला भरता है।
? टोंक के नमदे व गलीचे प्रसिद्ध है।
? NH 12 पर सोयला गांव में मिर्ची मंडी स्थित है।
? ऐसा जिला मुख्यालय जो रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ नहीं है।
? देवड़ा वास राजहंस हाईटेक नर्सरी
? सेंटर फॉर एक्सीलेंस के तहत टोडारायसिंह के पास थडोली ग्राम में 10 करोड़ की लागत से नर्सरी तैयार की जाएगी इसमें जैतून व नारियल की खेती की जाएगी सरकार ने इसके लिए प्रथम किस्त में दो करोड़ रुपए जारी कर दिए हैं।
? इस क्षेत्र की कुप्रथा -नाता प्रथा तथा झगड़ा
? नाता- विवाहित महिला किसी दूसरे पुरुष के साथ रह सकती है। जब उसके पहले पति को मुआवजे की रकम दी जाएगी इस राशि को झगड़ा कहा जाता है जो कि एक प्रकार से विवाह के समय हुए खर्च की भरपाई होती है।
? लेखक -
अस्मिता मिश्रा
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