वैश्विक समस्याओं पर निबंध

विभिन्न देशों के बढ़ते स्वरुप के साथ-साथ वैश्वीकरण का स्वरुप भी बढ़ता जा रहा है। वैश्वीकरण जिसका सामान्य अर्थ है स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रुपांतरण की प्रक्रिया। वर्तमान समय में वैश्वीकरण कि अधारणा दोधारी तलवार की तरह देखने को मिलती है क्योंकि जहां एक ओर विश्व पर इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं वही दूसरी ओर इसके नकारात्मक प्रभाव भी कम नहीं है। वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभावों की बात करें तो

कोई भी देश जब अपना विकास कर रहा होता है तो वह विश्व के विकास में भी अपनी भूमिका अदा कर रहा होता है। विश्व के किसी भी कोने में कोई व्यक्ति यदि कोई खोज या आवश्यक वस्तु का निर्माण करता है तो विश्व के अन्य क्षेत्रों में उसका उपयोग बड़े आसानी से किया जा सकता है। वैश्वीकरण के इस युग में कोई भी व्यक्ति दुनिया के किसी भी कोने में बड़े आसानी से यात्रा कर सकता है। वैश्वीकरण के द्वारा विभिन्न देशों की संस्कृतियों व सभ्यताओं का आदान प्रदान भी देखने को मिल रहा है जिसके कारण लोगों में पर्यटन के प्रति उत्साह बढ़ता है।

वैश्विकरण के नकारात्मक प्रभावों की बात की जाए तो कोई भी देश यदि कोई गलती करता है तो उसका हर्जाना अन्य देशों को भी भुगतना पडता है जैसे कि अंतरिक्ष में अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए विभिन्न देश अपने अपने सेटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ रहे हैं जिससे अंतरिक्ष में उनसे संबंधित मलवा भी देखने को मिलता है जो कि पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है जिसका परिणाम सभी देशो को देखना पड़ता है। 

परमाणु हथियार बनाने की होड़ में कुछ गरीब देश अपना अस्तित्व बचाने के लिए चिंतित हैं। कुछ रिपोर्टों का कहना है कि विश्व के कुछ देश जैविक हथियारों की और बढ़ रहे हैं जो कि मानव जाति के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 उसका एक उदाहरण है।

1. पर्यावरण संबंधी मुद्दे 

पर्यावरण संबंधी मुद्दों की बात करें तो उनमें सबसे प्रमुख है जलवायु परिवर्तन जिसके प्रभाव से विश्व का कोई भी देश अछूता नहीं रहा है जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप विश्व के विभिन्न देशों में प्राकृतिक आपदाएं जैसे सुनामी, पृथ्वी के तापमान में वृद्धि, वनों में आग ब्राजील स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट फोर स्पेस रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2019 से अब तक ब्राजील के अमेजन वन लगभग 75000 बार वनाग्नि का सामना कर चुके हैं साथ ही यह भी सामने आया है कि अमेजन वन में आग लगने की घटना वर्ष 2018 से लगातार बढ़ गई है।

रेगिस्तान का विस्तार, ग्लेशियर का पिघलना, भूकंप, चक्रवात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण काफी नुकसान देखने को मिलता है जैसे वन्यजीव प्रजातियां का विलुप्त होने की कगार पर आ जाना विशेषज्ञों के अनुसार पृथ्वी की एक-चौथाई प्रजातियां वर्ष 2050 तक विलुप्त हो सकती हैं।  इसके अलावा विभिन्न रोगों का प्रसार तथा आर्थिक नुकसान देखने को मिलता है साथ ही साथ जनहानि भी देखने को मिलती है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  के आंकड़ों के अनुसार पिछले दशक से आब तक हीट वेव्स के कारण लगभग 150,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है।

इसके अलावा जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं ने विश्व को दो भागों में विभाजित कर दिया है-
अ) विकसित देश।
ब) विकासशील देश।
दोनो एक दूसरे पर आरोप करो प्रयोग करते रहते हैं

2. आतंकवाद से संबंधित मुद्दे: -

आतंकवाद एक प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि होती है। जब कोई व्यक्ति या संगठन अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए किसी देश या उसके नागरिकों को निशाना बनाता है तो इस प्रक्रिया को आतंकवाद कहा जा सकता है। वर्तमान समय में आतंकवाद किसी  क्षेत्र विशेष से संबंधित ना होकर पूरे विश्व के लिए एक चुनौती बनकर उभर रहा है समय-समय पर विश्व के अनेक देशों में आतंकवाद से संबंधित घटनाएं देखने को मिलती रही हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं-

¡) मार्च 1993 का मुंबई बमकांड जिसमें लगभग 270 लोगों की मौत हुई।

¡¡) अगस्त 1998 में पूर्वी अफ्रीकी शहरों में अमेरिकी दूतावासों पर बमबारी जिसमें लगभग 12 लोगों की मौत हुई।

¡¡¡) सितंबर 2001 को अल-कायदा ने अमेरिका के न्यूयॉर्क और वाशिंगटन शहर पर चार हमलों को अन्जाम दिया।जिसे 9/11 का आतंकी हमला के नाम से भी जाना जाता है।

iv) अक्टूबर 2002 का बाली बमकांड इंडोनेशिया के इतिहास में इसे आतंकवाद का सबसे भीषण उदाहरण माना जाता है जिसमें लगभग 200 लोगों की मौत हुई।

v) नवंबर 2006 में इराक के बगदाद शहर में हुए आतंकी हमले में लगभग 215 लोगों की मौत हुई।

vi) जुलाई 2006 में मुंबई की ट्रेनों में आतंकवादियों ने बम विस्फोट किए जिसमें लगभग 210 लोगों की मौत हुई।

vii) अक्टूबर 2007 में पाकिस्तान के कराची शहर पर होने वाले बम विस्फोट में लगभग 150 लोग मारे गए।

viii) 26/11 का मुंबई आतंकी हमला 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई को अपना निशाना बनाया। लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए हमले में 160 से ज्यादा बेगुनाह लोगों की मौत हो गई।

ix) दिसंबर 2014 में आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तान से पेशावर शहर में एक आर्मी स्कूल में घुसकर गोलीबारी की इसमें 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई।

x) नवंबर 2015 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में मुंबई के 26/11 जैसा आतंकी हमला हुआ इसमें लगभग 27 लोगों की मौत हो गई।

विभिन्न आतंकी हमले हमें यह दर्शाने के लिए काफी हैं कि आतंकवाद कैसे वैश्विक स्तर पर अपने पैर पसार रहा है एवं पूरे विश्व के लिए एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।

3. वैश्विक गरीबी: -

गरीबी एक ऐसी दशा या स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति अपने दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी असमर्थ होता है।  गरीबी को दो रूपों में देखा जा सकता है-

  1. सापेक्ष गरीबी: - सापेक्ष गरीबी यह स्पष्ट करती है कि विभिन्न आय वर्गों के बीच कितनी असमानता विद्यमान है।
  2. निरपेक्ष गरीबी: - निरपेक्ष गरीबी न्यूनतम आय अथवा उपभोक्ता स्तर पर आधारित होती है।

वर्तमान समय में गरीबी केवल एक देश तक सीमित ना रहकर पूरे विश्व में फैली हुई है एवं संसार की गंभीर समस्याओं में से एक है। किसी भी क्षेत्र में निर्धनता के अनेक कारण होते जैसे बढ़ती जनसंख्या, अशिक्षा, जानलेवा एवं संक्रमण फैलाने वाली बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं, बेरोजगारी, पर्यावरणीय समस्याएं, देश में अर्थव्यवस्था की बदलती प्रवृत्ति, लोगों को अपने अधिकारों तक कम या सीमित पहुंच, राजनीति हिंसा, प्रायोजित अपराध, भ्रष्टाचार, सामाजिक व धार्मिक मान्यताएं आदि।

वर्तमान समय में गरीबी को दूर करने के लिए विश्व भर में कई प्रयास किए जा रहे हैं उसके उपरांत भी भयावह समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। गरीबी की यह समस्या मानव जीवन को आर्थिक तथा सामाजिक दोनों रुप से प्रभावित करती है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम तथा ऑक्सफोर्ड पाॅवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव द्वारा वैश्विक गरीबी सूचकांक से संबंधित आंकड़े जारी किए गए हैं-

  • रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 107 विकासशील देशों में 1.3 बिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से प्रभावित हैं।
  • बहुआयामी गरीबी से ग्रसित गरीब लोगों में आधे से ज्यादा 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।
  • सब-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में लगभग 84 प्रतिशत गरीब लोग रहते हैं।
  • इस अध्ययन में वैश्विक स्तर पर पांच अरब लोगों की बहुआयामी गरीबी की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत की गई है।

संयुक्त राष्ट्रों 2030 तक निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों(Sustainable development goal-SDG) में निर्धनता को सबसे ऊपर रखा गया है जो कि यह बताने के लिए पर्याप्त है कि निर्धनता विश्व में कितनी गंभीर समस्या है।

4. अन्य मुद्दे: -

पर्यावरणीय संबंधी मुद्दे, आतंकवाद से संबंधित मुद्दे एवं वैश्विक गरीबी के आलावा संसार के सामने अन्य कई समस्याएं हैं जो कि पूरे विश्व के लिए विचारणीय विषय है जैसे कि- 

  • भुखमरी, 
  • लैंगिक असमानता, 
  • धार्मिक अहिंसा,
  • राजनीतिक अस्थिरता,
  • सामुदायिक मतभेद,
  • बच्चों एवं महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध,
  • विभिन्न प्रकार के रोग एवं महामारियां,
  • वैश्विक जल संकट

उपसंहार: -

वैश्विक स्तर पर विभिन्न समस्याओं से लड़ने के लिए प्रमुख देशों ने अनेक आवश्यक कदम उठाए हैं जैसे की 

  1. पर्यावरण संरक्षण की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरणीय उपक्रम पर आधारित 1972 में स्टाॅकहोम, स्वीडन में आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन।
  2. 1992 का पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जिसे रियो डी जेनेरियो अर्थ समिट के नाम से जाना जाता है। इस शिखर सम्मेलन के परिणाम स्वरुप निम्न दस्तावेज सामने आए-
    ¡) पर्यावरण और विकास पर रियो घोषणा
    ¡¡) एजेंडा 21
    ¡¡¡) वन सिद्धांत
    iv) जैव विविधता पर सम्मेलन
    v) जलवायु परिवर्तन पर फ्रेमवर्क कंवेंशन
  3. 2015 का पेरिस समझौता जिसमें यह तय किया गया कि वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए प्रयास किया जाएगा।
  4. ओजोन परत के संरक्षण के लिए 1985 का वियना कंवेंशन जो कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बहुपक्षीय समझौता है।
  5. 1997 क्योटो प्रोटोकॉल जो कि 2005 से लागू हुआ क्योटो प्रोटोकॉल ने ग्रीनहाउस गैस सांद्रता को कम करने के लिए एवं ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के लिए UNFCCC के उद्देश्यों को लागू किया।
    इन प्रमुख प्रोटोकॉलों के अलावा यूनाइटेड नेशन्स समय समय पर अन्य कार्यक्रम भी चलाते हैं जिनसे पर्यावरण संरक्षण किया जा सके।
  6. आतंकवाद से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर कोई बाध्य कानून को नहीं है परंतु विभिन्न देशों द्वारा प्रमुख सम्मेलनों जैसे जी-20, जी-7, ब्रिक्स, आदि में समय-समय पर आतंकवाद से लड़ने के लिए रणनीति तैयार की जाती है।
  7. FATF की ब्लैक लिस्ट एवं ग्रे लिस्ट में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों को शामिल करना जिसके  बाद इस सूची  में शामिल देशों पर वैश्विक स्तर पर प्रतिबंध लगाना।

गरीबी दूर करने के लिए विश्व के विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है जैसे- भारत द्वारा वर्ष 2017 में नीति आयोग द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए एक विजन डॉक्युमेंट प्रस्तावित किया गया था जिसके अनुसार भारत में वर्ष 2035 तक गरीबी दूर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

विश्व की प्रमुख चुनौतियों से लड़ने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। विभिन्न समस्याओं पर होने वाले वैश्विक सम्मेलन इन समस्याओं से निपटने में अहम भूमिका निभाते हैं। अतः समय समय पर ऐसे सम्मेलन किए जाने चाहिए   

जैसे-जैसे वैश्वीकरण का स्वरुप बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे विश्व के सामने नई नई चुनौतियां सामने आ रही हैं एवं समय समय पर उनका समाधान निकालना आति आवश्यक हो जाता है अन्यथा वे मानव जाति को संकट में डाल सकती हैं। वर्तमान समय के अनुसार किसी भी देश को केवल अपने बारे में ही ना सोचकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय में कोई भी समस्या का प्रभाव केवल एक व्यक्ति या एक देश तक सीमित न रह कर  पूरे विश्व पड़ता है।

Specially thanks to Post Author - Ajeet Singh from Bharatpur

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